मुग़ल साम्राज्य एक नजर में PDF in hindi Mughal empire one liner, History oneliner pdf in hindi

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मुगल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य एक नजर में PDF in hindi Mughal empire one liner, History oneliner pdf in hindi
मुगल साम्राज्य के प्रमुख शासक
    बाबर (1526-1530):
  • बाबर 1494 . में फरगना की गद्दी पर बैठा था। बाबर पितृपक्ष की
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    ओर से तैमूर का 5वा और मातृ पक्ष की ओर से चंगेज का 15वां वंशज था। 1504 . में बाबर ने काबुल पर अधिकार किया।
  • बाबर का भारत की तरफ रुख करने का कारण थाऑटोमान साम्राज्य के द्वारा सफावी शासकों की पराजय तथा
  • उजबेक द्वारा ट्रांसऑक्सीयाना क्षेत्र पर अपना नियंत्रण कर लेना, जिससे बाबर की सेना को मजबूरन भारत की तरफ रुख करना। काबुल की सीमित आय तथा तैमूर से प्रतिस्पर्धा करने के उद्देश्य से बाबर ने भारत पर आक्रमण किया।
  • बाबर को पंजाब के सूबेदार दौलत खां लोदी, आलम खां लोदी (इब्राहिम लोदी का चाचा) तथा राणासांगा ने भारत पर आक्रमण करने का निमन्त्रण दिया था।
  • बाबर ने पानीपत के युद्ध से पूर्व भारत पर 4 बार आक्रमण किया।  पानीपत का पहला युद्ध 21 अप्रैल 1526 को बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ, जिसमें बाबर की विजय हई।
  • इस युद्ध में उसने तुलगामा युद्ध पद्धति (गड्डो को सजाना) तथा उस्मानी विधि रुमी पद्धति (तोपो को सजाना) के
  • मिश्रण का उपयोग किया।
  • बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में केवल 5 मुस्लिम शासकों (बंगाल, दिल्ली, मालवा, गुजरात एवं बहमनी) तथा 2 हिन्दू शासकों (मेवाड़ एवं विजयनगर) का उल्लेख किया है।
  • बाबर बागों को लगाने का बड़ा शौकीन था। उसने आगरा में एक बाग लगवाया, जिसे नूरेअफगान (आधुनिक आरामबाग) कहा जाता था |
  • बाबर की मृत्यु आगरा में हुई तथा उसकी इच्छानुसार उसके शरीर को काबुल में जाकर एक बाग में दफनाया गया और
  • उसकी कब्र पर कोई गुबंद या आकृति नहीं बनाई गई। इसने सर्वप्रथम सुल्तान की परंपरा को तोड़कर अपने को बादशाह घोषित किया। इसे भारत में बारुद के सर्वप्रथम उपयोग का श्रेय दिया जाता है।
  • इसने भारत में गंजिफा (तास का खेल) तथा ईश्कवाजी (कबूतरो का खेल) की शुरुआत की हुमायूँ (1530-1556):
  • बाबर का उत्तराधिकारी नसीरुद्दीन हुमायूँ 1530 . में हिन्दुस्तान के सिहासन पर बैठा।
  • 1539 . में हुमायूँ और शेरशाह सूरी के मध्य चौसा का युद्ध हुआ, जिसमें हुमायूँ की पराजय हुयी। इस युद्ध में, अपनी
  • जान बचाने के लिए हुमायूँ अपने घोड़े सहित गंगा में कूद पड़ा और भिश्ती की सहायता से अपनी जान बचाई। हुमायूँ ने इस उपहार के बदले में उसे एक दिन का बादशाह बना दिया।
  • 1540 . में हुमायूँ और शेरशाह सूरी के मध्य बिलग्राम (कन्नौज) का युद्ध हुआ, जिसमें हुमायूँ की पुनः पराजय हुयी
  • और शेरशाह ने हिंदुस्तान के तख्त पर कब्जा कर लिया। इस युद्ध की पराजय ने हुमायूँ को 1555 . तक हिन्दुस्तान से बाहर ईराक के सफावी शासक के दरबार में निर्वासित जीवन जीने के लिए बाध्य कर दिया।
  • 1555 . में मुगल और अफगानो के मध्य सरहिन्द स्थान पर युद्ध हुआ इस युद्ध में अफगान सेना का नेतृत्व सिकदर
  • सूर तथा मुगल सेना का नेतृत्व बैरम खा ने किया। अफगान बुरी तरह पराजित हुए। विजय के पश्चात् हमयूँ ने दिल्ली में प्रवेश किया और एक बार फिर भारत के सम्राट का ताज पहना।
  • किंतु एक वर्ष बाद ही (1556 .) दिल्ली में स्थित दीनपनाह स्थान पर पुस्तकालय की सीढियों से गिरकर अचानक
  • उसकी मृत्यु हो गई।
  • वह तो एक अच्छा सेनानायक था और ही अच्छा प्रशासक, किन्तु वह वह आशावादी और लगनशील व्यक्ति था।

शेरशाह सूरी (1540-1545):

  • इसके बचपन का नाम फरीद था। एक शेर को मारने के कारण इसका नाम शेर खां पड़ गया।
  • 1539 . में चौसा युद्ध तथा 1540 . में बिलग्राम (कन्नौज) युद्ध में हुमायूँ को पराजित कर शेरशाह सूरी की उपाधि
  • धारण की और अपने नाम का खुतबा पढ़वाया।
  • 1540 . में विजय के बाद यह हिन्दुस्तान के सिंहासन पर आसीन हुआ और सूरवंश की स्थापना की।
  • 1545 में कालिंजर अभियान के दौरान एक बारूद के विस्फोट में शेरशाह की मृत्यु हो गयी।

इसने अपने शासनकाल में निम्नलिखित कार्य किए:
  • मुद्रा सुधारइसने पुराने घिसेपटे तथा मिलावती सिक्कों के स्थान पर स्वर्ण, चादी और तांबे के प्रमाणित सिक्कों का प्रचलन शुरु किया। चांदी का रुपया ही बाद में मुगल ब्रिटिश मुद्रा प्रणाली का आधार बना।
  • भूराजस्व सुधारइसने कृषि योग्य भूमि की पैमाईश करवायी और मापन के लिए सिकंदरी गज तथा सन् की डंडी का उपयोग किया।
  • अपने राजस्व अधिकारी टोडरमल की सहायता से लगान वसूली के लिए जब्ती प्रणाली की शुरुआत की। इसे टोडरमल का बंदोबस्त भी कहते हैं।
  • कानून और व्यवस्थाकानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उसे कठोर व्यवस्था का अनुसरण किया किसी भी क्षेत्र में कोई वारदात होने पर, उसे उस क्षेत्र के मुखिया को दंडित करने की व्यवस्था लागू की।
  • न्याय व्यवस्थाइसकी न्याय प्रक्रिया बहुत ही निष्पक्ष एवं कठोर थी। इसके पुत्र इस्लाम शाह सूरी ने कानूनो को संहिताबद्ध किया।
  • कर सुधारइसने व्यापारियों पर लगाए जा रहे अनेक करो में एकरुपता प्रदान की। इसके समय में व्यापारियों से दो स्थानो पर दो तरह के कर वसूले जाते थे:
  • सीकरी गलीइसके अंतर्गत पूर्व से आए व्यापारियों को दो करो का भुगतान करना पड़ता थाप्रवेश कर और इसके पक्षात् बिक्री कर।
  • सिंधु नदीइसके अंतर्गत पश्चिम से आए व्यापारियों को दो करो का भुगतान करना पड़ता थाप्रवेश कर और इसके पचात् बिक्री कर।
  • परिवहन सुधारइसने परिवहन के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया। इसने लोगो के आवागम के लिए कई सड़को का निर्माण करवाया, जिसमें मुख्य सड़के थींग्रांड ट्रांक (बंगाल के सोनार गांव से आगरा दिल्ली होते हये लाहौर तक) सड़क की मरम्मत, आगराजोधपुरचित्तौड़ सड़क का निर्माण तथा मुल्तानलाहौर सडक का निर्माण। इसने यात्रियों की सुविधा के लिए प्रत्येक 2 कोष (लगभग 8 किमी) पर 1,700 सरायों का निर्माण करवाया अर्थात् इन सरायों का दायिरा लगभग 13,600 किमी (1,700×8) तक था इसके अतिरिक्त इसने यात्रियों के लिए उनके धर्म के अनुसार रसोईयों की भी व्यवस्था की। इन सरायों के माध्यम से इसने गुप्तचर तथा डाक व्यवस्था को प्रोत्साहित किया।
  • वास्तुकलाइसने दिल्ली में पुराना किला तथा किले के अंदरकिलाकुहनानाम से मस्जिद का निर्माण करवाया। इसके ज्यादातर भवनो का निर्माण जल के मध्य होता था।

अकबर (1542-1605):
  • अकबर का जन्म अमरकोट के राणा प्रसाद के महल में 15 अक्टूबर, 1542 . में हुआ था। अकबर ने अपने बाल्यकाल में ही गजनी और लाहौर के सुबेदार के रूप में कार्य किया था
  • 1556 . में अकबर ने बैरम खाँ को अपना वकील (वजीर) नियुक्त कर उसे खानखाना की उपाधि प्रदान की।
  • पानीपत का द्वितीय युद्ध वास्तविक रूप से अकबर के वकील एवं सरक्षक बैरम खाँ और मोहम्मद आदिलशाह सूर के वजीर एवं सेनापति हेमू (जिसने दिल्ली पर अधिकार कर अपने को स्वतंत्र शासक घोषित कर विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी) के बीच हुआ था कुछ लोगो ने बैरम खां को वगावत करने के लिए प्रेरित किया। परिणामतः इसके और अकबर के मध्य तिलवाड़ा का युद्ध हुआ, जिसमें अकबर की विजय हुयी। अकबर ने बैरम खा को 2 विकल्प दिए:

                           अकबर की अधीनता स्वीकार कर, उसके दरबार में शामिल हो जाए.या
              मक्का की तीर्थ यात्रा पर चला जाए।

  • बैरम खा ने मक्का जाना उचित समझा तथा मक्का जाते समय मुबारक खाँ नामक एक अफगानी ने बैरम खाँ की हत्या कर दी।
  • बैरम खां की मृत्यु के बाद अकबर ने उसकी विधवा से विवाह किया और उसके पुत्र अब्दुर्रहीम को पालपोषकर खान खाना के पद तक पहुंचाया। सम्राज्य विस्तार
  • चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण के समय अकबर, जयमल और फत्ता की वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि इन दोनों वीरों की हाथी पर सवार प्रतिमा को आगरे के किले के मुख्यद्वार पर स्थापित करवा दिया।
  • अकबर ने अपनी गुजरात विजय की स्मृति में राजधानी फतेहपुर सीकरी की स्थापना की, जहां उसने एक बुलन्द दरवाजा बनवाया था। फतेहपुर सीकरी इबादत खाना बनवाया। इबादत खाना में होने वाली चर्चा ने अद्वैतवाद के प्रचार में सहायता दी
  • 1576 . में अकबर ने दाउद खाँ को पराजित कर उत्तर भारत से अन्तिम अफगान शासन का अन्त कर दिया।

अकबर के समय के विद्रोहः
  • 1564 . में उजबेकों ने विद्रोह कर दिया। यह अकबर के समय का पहला विद्रोह था।
  • 1586 . में अफगान के बलूचों ने विद्रोह कर दिया। इसी विद्रोह के दौरान बीरबल की मृत्यु हुई थी।
  • 1599 . में शाहजादा सलीम (जहांगीर) ने पुर्तगालियों के साथ षड्यंत्र कर विद्रोह कर दिया तथा इलाहाबाद में अपने को स्वतंत्र बादशाह घोषित कर दिया।

शासनव्यवस्था
  • अकबरने संपूर्ण साम्राज्य को 15 सूबो (प्रांतों) में विभक्त कर दिया था। सूबों को सरकार (जिला), परगना (तहसील) तथा गांवो में विभक्त कर दिया इनका कार्यभार निम्नलिखित अधिकारियों द्वारा संचालित किया जाता था:

सूबाप्रांतीय प्रशासन 
  • सिपासालारयहकार्यकारी मुखिया था, जिसे बाद में निजाम या सूबेदार के नाम से जाने जाना लगा।
  • दीवानयह राजस्व विभाग का मुखिया था।
  • बख्शीयह सैन्य विभाग का मुखिया था।

सरकारी जिलाप्रशासन
  • फौजदारप्रशासनिकमुखिया।
  • अमल/अमलगुजारराजस्ववसूलने वाला अधिकारी।
  • कोतवालकानूनव्यवस्था को संभालने वाला अधिकारी।

परगनातहसील प्रशासन
  • शिकदारकानूनव्यवस्था को संभालने वाला अधिकारी।
  • आमिल/कानूनगोराजस्ववसूलने वाला अधिकारी।

ग्रामप्रशासन
  • मुकामग्राम प्रधान
  • पटवारीलेखपाल।
  • चौकीदार

अकबरकी धार्मिक नीति
  • अकबरकी धार्मिक नीति का मूल उद्देश्य सार्वभौमिक सहिष्णुता थी। इसे सुलहकुल की नीति अर्थात् सभी धर्मों के साथ शान्तिपूर्ण व्यवहार का सिद्धांत भी कहा जाता है। अकबर ने इस्लामी सिद्धांत के स्थान पर सुलहकुल की नीति अपनाई।
  • अकबरने दार्शनिक एवं धर्मशास्त्रीय विषयों पर वादविवाद के लिए अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी में एक इबादतखाना (प्रार्थनाभवन) की स्थापना करवाई. जिसमें सभी धर्मों के विद्वान शामिल होते थे।
  • अकबरने समस्त धार्मिक मामलों को अपने हाथों में लेने के लिए 1579 . में महजरनामा या एक घोषणा जारी करवाया,
  • जिसनेउसे धर्म के मामलों में सर्वोच्च बना दिया। इस पर पाँच इस्लामी धर्मविदों के हस्ताक्षर थे। इसने जजिया तथा तीर्थ करो को समाप्त कर दिया।
  • अकबरने सभी धर्मों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए 1582 . में तौहीदइलाही/दीनइलाही नामक एक नयी परपरा प्रवर्तित की, जिसमेंअल्लाह हूका मंत्र दिया जाता था। अकबर ने 1583 . में एक नये कैलेन्दर इलाही संवत् को जारी किया।
  • यहएक धर्मनिरपेक्ष शासन था।

मनसबदारी व्यवस्था
  • मनसबदारीव्यवस्था का संबंध मूलतः सैन्य व्यवस्था से था, जिसमें कुछ विशेष श्रेणी के घुड़सवार एवं कुशल सैनिक नियुक्त किए जाते थे, जो राजा के प्रति घनिष्ठ निष्ठा रखते थे। इसके अंतर्गत प्रत्येक अधिकारी को एक पद (मनसब/जात) दे दिया जाता है, जिसके अधीन निश्चित मात्रा में सवार (घुड़सवार एवं कुशल सैनिक) होते थे।
  • प्रत्येकघुड़सवार को दो घोड़े रखते होते थे। मनसबदारों को अपने वेतन के बदले राजस्व वसूलने का अधिकार होता था।
  • अकबरके समय में मनसबदारों की 33 श्रेणियां थीं. जो 10 से 10,000 सैनिको को अपने पास रखते थे। मनसबदारो की नियुक्ति सैन्य विभाग का सर्वोच्च अधिकारी मीर बख्शी के द्वारा की जाती थी

भूराजस्व संबंधी सुधारः
  • अकबरने राजस्व प्रशासन की योजना तैयार करने के लिए टोडरमल को 1582 में शाही दीवान नियुक्त किया
  • राजस्वप्रशासन की संपूर्ण व्यवस्था टोडरमल द्वारा ही निर्मित की गई, जिसे बगदाद के काजी अबू याकुब की पुस्तक किताब उलखराज से ग्रहण किया गया।
  • टोडरमलके यह सुधार आइनेदहशला (10 वर्षीय सुधार) के नाम से जाने गए। यह जब्ती प्रणाली का विकसित रुप है, जिसमें पिछले 10 वर्षों के उत्पादन तथा उत्पादन मूल्य के आकलन के आधार पर 1/3 राजस्व निर्धारित किया जाता था। सामान्यतः यह आकलन फसलों के रुप में होता था तथा वसुली नकदी रुप में होती थी।
  • कानूनगोयहएक राजस्व अधिकारी होता था, जिसका कार्य राजस्व संबंधी आकड़े एकत्रित करना था।
  • करोडीयह एक करोड़ दाम (2.5 लाख रुपय अर्थात् 1 रुपया = 40 दाम) के बराबर राजस्व की वसूली करने वाला अधिकारी था।

अकबरने उत्पादकता के आधार पर कृषि योग्य भूमि को 4 भागो में बाटा:
  • पोलजजिस पर प्रतिवर्ष खेती होती थी। परती जिस पर एक वर्ष के अंतराल पर खेती होती थी।
  • चाचरजिसे 3-4 वर्षों तक बिना बोये छोड़ा जाता था।
  • बंजरइस भूमि को 5 या इससे अधिक वर्षों तक जोताबोया नहीं जाता था।

सामाजिक सुधारः
  • इसनेयुद्ध बंदियों को दास बनाने की परंपरा समाप्त की, विधवाओं के पुनर्विवाह को प्रोत्साहित किया, सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाया, बालविवाह निषेध किया।
  • इसनेविवाह के लिए लड़के की आयु 16 वर्ष तथा लड़की की आयु 14 वर्ष निर्धारित कर दी।

राजपूतों केसाथ संबंध:

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  • यहप्रथम शासक था, जिसने राजपूतों के साथ मधुर संबंध बनाए।
  • मेवाड़राजपूतो को छोड़कर, शेष सभी राजपूतो ने इसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी।

अकबरके नवरत्न
  • अबुल फजलफारसी विद्वान सेनानायक
  • फैजीफारसी विद्वान कवि
  • बीरबलहाजिर जबाब चतुर मंत्री
  • तानसेनदरबारी गायक संगीतज्ञ
  • टोडरमलभू राजस्व सूधारक
  • मानसिंह सेनापति
  • अब्दुर्रहीम खानखाना हिन्दी कवि सेनानायक
  • हमीम हुमामशाही पाठशाला का प्रधान
  • मुल्ला दो प्याजाचतूर वाकपटू दरबारी

जहाँगीर (1605-1627):
  • सलीमका जन्म 30 अगस्त 1569 . को फतेहपुर सीकरी में स्थित शेख सलीम चिश्ती की कुटिया में आमेर (जयपुर) के राजा भारमल की पुत्री मरियम उल्लमानी के गर्भ से हुआ था।
  • सलीमने जहांगीर (विश्वविजेता) की उपाधि ली और अकबर के आदर्शों पर ही चला। सलीम का मुख्य शिक्षक अब्बुर्रहीम खानखाना था।
  • जहाँगीरने गदी पर बैठते ही न्याय की प्रसिद्ध जंजीरलगवायी। इसे चित्रकला की बहुत बारीक समझ थी तथा इसके दरबार में मनसूर नामक प्रसिद्ध चित्रकार था इसने कश्मीर में शालीमार बाग बनवाया इसने जनता के हितो के लिए 12 अध्यादेश जारी किए।
  • जहांगीरके पुत्र खुसरो ने जहांगीर के विरुध विद्रोह कर दिया था, जिसे शरण देने के कारण ही जहांगीर ने सिक्ख गुरू अर्जुन देव की हत्या करवा दी थी। गुरू अर्जुन देव ने स्वर्ण मंदिर का निर्माण करवाया।
  • जुर्माना भरने के कारण, इसने गुरु अर्जुन देव के पुत्र, हरगोविंद को 10 वर्षों के लिए ग्वालियर के किले में कैद कर दिया।
  • इसनेमनसबदारी व्यवस्था में परिवर्तन किया और दुअस्पाह तथा सीअस्पाह सिद्धांत को लागू किया। इनके अंतर्गत जात (मनसब) में परिवर्तन किए बिना सवारो की संख्या क्रमश: दो गणी तथा तीन गणी कर दी गयी।
  • इसकीपत्नी नूरजहाँ ने जनता/जुन्ता वर्ग की स्थापना की, जिसमें उसके पिता एतमादुद्दौला, माता अस्मत बेगम, भाई आसफ खां तथा शहजादा सम्मिलित थे। यह एक प्रकार दबाव समूह था।
  • जहाँगीरने श्रीकान्त नामक एक हिड़ को हिन्दुओं का जज नियुक्त किया जहाँगीर ने सूरदास को आश्रय दिया था और उसी के संरक्षण में सूरसागर की रचना हुई। जहाँगीर ने ही सर्वप्रथम मराठों के महत्व को समझा और उन्हें मुगल अमीर वर्ग में शामिल किया।
  • जहाँगीरके शासनकाल में हाकिन्स 1608-1611 . में और सर थॉमसरो 1615-1619 . में आया था जहाँगीर ने हाकिन्स को 400 का मनसब (पद) दिया था।

शाहजहाँ (1624-1658):
  • शाहजहाँका जन्म लाहौर में 5 जनवरी 1592 ईव को मारवाड़ के राजा उदयसिंह पुत्री जगत गोसाई के गर्भ से हुआ था।
  • शाहजहाँअपने सभी भाइयों एवं सिंहासन के सभी प्रतिद्वन्दियों तथा डावर बख्श को समाप्त कर 24 फरवरी 1628 को आगरे के सिंहासन पर बैठा। इसका शासनकाल भवन निर्माण तथा वास्तुकला का उत्कर्ष काल था।
  • शाहजहाँ ने दक्षिण भारत में सर्वप्रथम अहमदनगर पर आक्रमण किया और 1633 . में उसे जीतकर मुगल साम्राज्य में मिला लिया तथा अन्तिम निजामशाही सुच्चा हुसैन शाह को ग्वालियर के किले में कैद कर लिया।
  • इसने मनसबदारी व्यवस्था में परिवर्तन किया, जिसमें जात (मनसब) में परिवर्तन किए बिना सवारो की संख्या 1/3 या 1/4 या 1/5 कर दी।
  • शाहजहां ने दिल्ली का लाल किला, जामा मस्जिद, आगरा की मोती मस्जिद मुमताज महल की याद में ताजमहल बनवाया।
  • शाहजहाँ के अन्तिम वर्ष आगरा के किले के शाहबुर्ज में एक बन्दी की तरह व्यतीत हुए। इस समय उसकी बड़ी पुत्री जहाँआरा ने साथ रहकर उसकी सेवा की थी। शाहजहाँ की मृत्यु 1666 . में हुई और उसे भी ताजमहल में उसकी पत्नी की कब्र के निकट दफना दिया गया।

औरंगजेब (1658-1707):
  • जब शाहजहां बीमार पड़ा, तो उसके पुत्र (दारा, शुजा, औरंगजेब, मुराद बख्श) के बीच उत्तराधिकार का युद्ध आरंभ हो गया।
  • शाहजहां की बीमारी की खबर मिलने पर शुजा ने खुद को सम्राट घोषित कर दिया और आगरा की ओर मार्च शुरू कर दिया किंतु वाराणसी के पास, दारा के नेतृत्व में एक सेना द्वारा उसे परास्त कर दिया गया।
  • मुराद बख्श ने इसी तरह गुजरात में खुद को ताज पहनाया।
  • औरंगजेब ने शुजा और मुराद के साथ एक गुप्त संधि की, जिसमें औरंगजेब ने उन्हे साम्राज्य के कुछ हिस्सो पर स्वतंत्र शासक के रूप में शासन करने का वचन दिया।
  • औरंगजेब और मुराद की संयुक्त सेना ने शाही की सेना को सामूगढ़ नामक स्थान पर निर्णायक युद्ध (1658) में पराजित कर दिया। इस विजय के बाद औरंगजेब ने कूटनीति से मुराद को बंदी बनाकर, उसकी हत्या करावा दी। औरंगजेब ने शुजा को खानवा नामक स्थान पर हुए युद्ध (जनवरी 1959) में परास्त कर दिया।
  • औरंगजेब तथा धारा के मध्य हुई अंतिम लड़ाई (अप्रैल 1659) में दारा को पराजित किया और आलमगीर की उपाधि धारण कर, अपना राज्याभिषेक करवाया।
  • औरंगजेब के राजपूत और मराठो से संबंध मधुर नहीं थे इसने जजिया को पुनः लागू कर दिया। गुरू तेगबहादूर की हत्या करवा दी। हिन्दुओं के मंदिरों को तुड़वाया, पुराने मंदिरों की मरम्मत नये मंदिरों के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया।

औरंगजेब के समय प्रमुख विद्रोह

  • जाटों का विद्रोहऔरंगजेब के समय उत्पन्न कृषि संकट तथा कृषको पर जमींदारों के अत्याचारो ने विद्रोह को जन्म दिया। 1669 में जाटों ने एक स्थानीय जमींदार गोकुला के नेतृत्व में पहला विद्रोह किया। तिलपत के युद्ध में मुगल फौजदार हसन अली खाँ ने जाटों को परास्त किया और गोकुल को बन्दी बनाकर मार डाला।
  • सतनामी विद्रोह – 1672 में किसानों और मुगलों के बीच मथुरा के निकट नारनौल नामक स्थान पर एक युद्ध हुआ, जिसका नेतृत्व सतनामी नामक एक धार्मिक समुदाय ने किया था। यह विद्रोह एक सतनामी किसान और एक पैदल सैनिक के छोटे से झगड़े से शुरु हुआ। सतनामी सम्प्रदाय में अधिकतर किसान, दस्तकार और नीची जाति के लोग थे।
  • बुन्देलों का विद्रोहमुगलों और बुन्देलों के बीच पहली बार संघर्ष मधुकरशाह के समय शुरु हुआ जहाँगीर के समय रामचन्द्र बुंदेला (1628) तथा शाहजहाँ के समय में जुझार सिंह और चम्मत राय ने विद्रोह किया।

बाद के मुगल शासकः
  • औरंगजेब के बाद 9 मुगल शासकों ने शासन किया, किंतु भारतीय इतिहास में इनका योगदान के बराबर है।
  • अकबर शाह द्वितीय के शासनकाल में लॉर्ड हेस्टिंग्स ने मुगलों के अधिपत्य को मानने से इंकार कर दिया तथा समान दर्जे का दावा किया
  • अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह द्वितीय को अंग्रेजो ने लाल किले में कैद कर रखा था।
  • 1857 के विद्रोह में उसने अपने साम्राज्य को पुनः पाने की कोशिश की, किंतु असफल रहा और उसे रंगून भेज दिया गया।

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