उत्तराखंड में हड़प्पा नगर नहीं पाए गए हैं। Key Points सिंधु घाटी सभ्यता की स्थापना लगभग 3300 ईसा पूर्व हुई थी। यह 2600-1900 ईसा पूर्व (परिपक्व सिंधु घाटी सभ्यता) के मध्य विकसित हुआ था। 1900 ईसा पूर्व के आसपास इसका पतन शुरू हुआ व 1400 ईसा पूर्व के आसपास पूर्णता समाप्त हो गया था। उत्खनित पहला नगर, हड़Read more
उत्तराखंड में हड़प्पा नगर नहीं पाए गए हैं।
Key Points
- सिंधु घाटी सभ्यता की स्थापना लगभग 3300 ईसा पूर्व हुई थी।
- यह 2600-1900 ईसा पूर्व (परिपक्व सिंधु घाटी सभ्यता) के मध्य विकसित हुआ था।
- 1900 ईसा पूर्व के आसपास इसका पतन शुरू हुआ व 1400 ईसा पूर्व के आसपास पूर्णता समाप्त हो गया था।
- उत्खनित पहला नगर, हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान) के उपरांत इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।
- सिंधु घाटी सभ्यता नगर पाकिस्तान में पंजाब व सिंध तथा भारत में गुजरात, राजस्थान, हरियाणा व पंजाब में पाए गए थे।
- पुरातत्वविदों को लगभग इन सभी नगरों में अनूठी वस्तुओं का एक समूह मिला है: काले रंग में चित्रित लाल मिट्टी के बर्तन, पत्थर के बाट, मुहरें, विशेष मनके, ताम्र उपकरण, और समानांतर किनारे वाले लंबे पत्थर के ब्लेड।
- इनमें से कई नगर दो या दो से अधिक भागों में विभाजित थे – दुर्ग और निचला नगर
अतः, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि हड़प्पा नगर उत्तराखंड में नहीं पाए गए हैं।
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सुल्तानगंज (बिहार में भागलपुर के निकट) में खोजी गई गौतम बुद्ध की विशाल प्रतिमा को गुप्त काल की प्रतिमा मानी गई है। गुप्तकाल में चाँदी के सिक्कों को रूप्यक कहा जाता था। नागर शैली में मंदिर बनाने की कला का जन्म गुप्तकाल में ही हुआ। अर्द्धनारीश्वर की अवधारणा का विकास गुप्तकाल में ही हुआ। कुषाण काल मेंRead more
सुल्तानगंज (बिहार में भागलपुर के निकट) में खोजी गई गौतम बुद्ध की विशाल प्रतिमा को गुप्त काल की प्रतिमा मानी गई है।
गुप्तकाल में चाँदी के सिक्कों को रूप्यक कहा जाता था। नागर शैली में मंदिर बनाने की कला का जन्म गुप्तकाल में ही हुआ।
अर्द्धनारीश्वर की अवधारणा का विकास गुप्तकाल में ही हुआ। कुषाण काल में सबसे अधिक विकास वास्तुकला के क्षेत्र में हुआ था। इसी काल में बुद्ध की खड़ी प्रतिमा का निर्माण हुआ।
पुष्यमित्र शुंग जिन्होंने शुंग वंश की नींव डाली।
नंदवंश का संस्थापक महापदमनंद थे।
मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म लगभग 345 ई० पू० में हुआ था।
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