प्रांतीय विषयों के दो भाग
1. आरक्षित विषय राजस्व, न्याय, वित्त, पुलिस आदि।
2. हस्तान्तरित विषय स्थानीय स्वशासन, शिक्षा, कृषि स्वास्थ्य आदि।
आरक्षित विषयों का शासन गवर्नर अपनी परिषद् के सदस्यों की सलाह से करता था तथा हस्तान्तरित विषयों का शासन गवर्नर भारतीय मन्त्रियों की सलाह से करता था।
इस अधिनियम ने सांप्रदायिक आधार पर सिक्खों, भारतीय ईसाइयों, आंग्ल भारतीयों और यूरोपियों के लिए भी पृथक निर्वाचन के सिद्धांत को विस्तारित कर दिया।
इस अधिनियम ने एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया। इसी के परिणाम स्वरूप 1926 ई. में सिविल सेवकों की भर्ती के लिए केन्द्रीय लोक सेवा आयोग का गठन किया गया।
इस अधिनियम ने पहली बार केन्द्रीय बजट को राज्यों के बजट से अलग कर दिया तथा राज्य विधानसभाओं को अपना बजट स्वयं बनाने के लिए अधिकृत कर दिया।
इसके अंतर्गत एक वैधानिक आयोग के गठन का प्रावधान किया गया, जिसका कार्य अधिनियम लागू होने के 10 वर्षों बाद जाँच करके अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना था।
[…] बम्बई में कम्पनी द्वारा ढाले गए सिक्कों को सम्पूर्ण […]