उच्चतम न्यायालय ने गोलकनाथ मामलों में मौलिक अधिकारों को प्रमुखता राज्य के नीति निदेशक सिद्धान्तों के ऊपर स्थापित की । 1973 ई० में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्यवाद में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि संसद मौलिक अधिकार सहित संविधान के किसी भागों में संशोधन कर सकता है, लेकिन संविधान के मूलभूत ढाँचेRead more
उच्चतम न्यायालय ने गोलकनाथ मामलों में मौलिक अधिकारों को प्रमुखता राज्य के नीति निदेशक सिद्धान्तों के ऊपर स्थापित की ।
1973 ई० में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्यवाद में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि संसद मौलिक अधिकार सहित संविधान के किसी भागों में संशोधन कर सकता है, लेकिन संविधान के मूलभूत ढाँचे को नहीं कर सकते हैं।
प्रस्तावना में भी संशोधन करने का अधिकार संसद को दिया गया ।
मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघवाद 1980 में उच्चतम न्यायालय ने मौलिक अधिकार और नीति निदेशक तत्व को एक-दूसरे के पूरक माना और कहा कि इन्हें एक-दूसरे से अलग कर नहीं देखना चाहिए ।
सर्वोच्च न्यायालय ने गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्यवाद: 1967 ई० के निर्णय में अनुच्छेद 368 में निर्धारित प्रक्रिया से मूल अधिकारों में संसोधन पर रोक लगा दी अर्थात् संसद मूल अधिकारों में संसोधन नहीं कर सकती है।
24वें संविधान संशोधन (1971 ई०) द्वारा अनुच्छेद-13 और अनुच्छेद-368 में संशोधन किया गया तथा यह निर्धारित किया गया कि अनुच्छेद 368 में दी गयी प्रक्रिया द्वारा मूल अधिकारों में संशोधन किया जा सकता है।
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केन्द्र-राज्य संबंध पर सरकारिया आयोग का गठन किया गया था । बाबरी मस्जिद ढाँचा को क्षतिग्रस्त करने की जाँच पर लिब्राहम आयोग का गठन किया गया था। एम०एम० पुंछी आयोग (2007) :- केन्द्र-राज्य संबंध के अध्ययन के लिए गठित किया गया था। कावेरी नदी जल विवाद पर संसद द्वारा प्राधिकरण की स्थापना किया गया। भारतीय संRead more
केन्द्र-राज्य संबंध पर सरकारिया आयोग का गठन किया गया था ।
बाबरी मस्जिद ढाँचा को क्षतिग्रस्त करने की जाँच पर लिब्राहम आयोग का गठन किया गया था।
एम०एम० पुंछी आयोग (2007) :- केन्द्र-राज्य संबंध के अध्ययन के लिए गठित किया गया था।
कावेरी नदी जल विवाद पर संसद द्वारा प्राधिकरण की स्थापना
किया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-262 में नदी जल विवाद पर प्राधिकरण गठन करने का अधिकार संसद को दिया गया है।
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